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कविता

राधा-माधव

सुमित पी.वी.


हमारे ही गाँव में रहने वाले माधव भैया की शादी होकर २-३ साल नहीं करीब २५ साल हो चुके हैं। २२ वर्षीय शादी-शुदा बेटी और एक बेटा भी है उनके। बैंक मैनेजर माधव भैया और राधा जी के बीच कभी कोई मन-मुटाव नहीं रहा है। लेकिन पिछले साल अचानक किसी बात पर माधव भैया ने गुस्से में कुछ कहा तो उसके विरोध में राधा जी ने अपने आप को जिंदा जला लिया। १८ वर्षीय बेटा इस घटना के बाद लगभग पागल हो चुका है। माधव जी शराब में डूबने लगे। कभी एक दिन इत्तफाक से उनकी कहानी सुनने का नौबत आया मुझे भी -

1.

मेरे साथ इतने साल जीकर भी
उसने मेरे को...
उन्होंने ऐसा कहा तो
कहना क्या, फूट पड़ा तो
मुझे मजबूर होकर सोचना पड़ा
साथ जीकर क्या कर रही थी
हमारी राधा दी?
सहसा मुझे याद आया
साथ जीने का मतलब
समझना-जानना थोड़ी है?
लेकिन...
यह तो लंबे पच्चीस बरस बाद...!
कहाँ राधा दी को चूक हुई?
वह तो चुपचाप रहती थीं
कभी उनको घर के कामों से
फुरसत मिलती ही नहीं थी
पड़ोस भी कम जाया करती थीं
घर-पति-बच्चे
यही थी उनकी दुनिया!
अपना घर भी कम जाती थीं
ऐसी भी होती है पतिव्रता!

जब माधव भैया मेरे
नाना-नानी को
अपना दर्द सुना रहे थे
तो मेरा ध्यान उधर खिंचा
चला क्यों गया?
इतने दिनों बाद भी
मैं उस कहानी को भूल नहीं पा रहा हूँ
सचमुच स्त्रियाँ होती ही ऐसी!

नर-नारी तो आपस में जुड़े शब्द है
लेकिन हकीकत में वे
जुड़ पाते कि नहीं?
माधव भैया रोने-छीकने लगे
पच्चीस साल में उसने कुछ
भी नहीं माँगा।
जानती थी कि मैं उसे कितना
चाहता था, मानता था
आँसू की धाराएँ दोनों गाल
से नीचे की ओर निर्झर बन चुका था
अब मैं किसके लिए जीऊँ, किसे समझाऊँ
मुझे, मेरे प्यार को, मेरे बच्चों को
उसने धोखा दिया
कभी माफ नहीं कर पाऊँगा
कभी नहीं।
कहते रोते हुए उन्होंने आँसू पोंछा
तो हमारी राधा जी ने सही किया था?
या गलत?
अब फैसला करेगा कौन?

2 .

आखिर राधा जी ने अपने आपको
जिंदा जलाने का फैसला क्यों लिया?
पूरी कहानी सुनने के बाद भी
मेरे मन में यही सवाल उमड़ता रहा
क्या उनके मन में और कोई आसान
तरीका सुलझा नहीं?
या वह चाहती थी कि
मरने के बाद भी माधव भैया का
पीछा करे!
मरने के दो दिन पहले
पति देव के साथ जो कुछ भी हुआ होगा
उसकी असलियत अब कौन
बताएगा हमें?
माधव भैया अपना पक्ष तो
हमारे सामने रखेंगे ही
मगर क्या कहना चाहती थी
हमारी राधा दी?
इसका बयान अब हमें वह कैसे देंगी?
या तो हम मान लें कि माधव भैया ही सही हैं
नहीं तो हिम्मत के साथ
हकीकत का सामना करें?
सवाल बहुत बड़ा है, कौन दे पाएगा इसका जवाब?
मैं, तुम या वे?


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